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मुकेश शमा से कोई कह दे कि तेरे रहते-रहते अँधेरा हो रहा कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ पतंगा रो रहा सुमन सितारो उनसे कहना नज़ारों उनसे कहना सज़ाए हो रही कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ शमा भी रो रही सितारो उनसे कहना मुकेश तड़पता प्यार कि हो दीदार मगर दीवार हमें रोके तड़पता प्यार कि हो दीदार मगर दीवार हमें रोके सुमन शमा ऐसे जले जैसे पतंगे से जुदा हो के जुदा हो के मुकेश दुहाई देते-देते जुदाई सहते-सहते अन्धेरा हो रहा कि तुम हो वहाँ को तो मिलने यहाँ पतंगा रो रहा शमा से कोई कह दे
सुमन रुलाते हैं जलाते है मिटाते है यहाँ अपने रुलाते हैं जलाते है मिटाते है यहाँ अपने मुकेश मिटाने से नहीं मिटते मोहब्बत के अमर सपने अमर सपने सुमन जुदाई उनसे कहना कि मेरे होके रहना सज़ाए हो रही कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ शमा भी रो रही सितारो उनसे कहना
मुकेश बँधी ज़ंजीर मगर बेपीर तेरी तस्वीर नहीं जाती बँधी ज़ंजीर मगर बेपीर तेरी तस्वीर नहीं जाती सुमन सितम की बात सहें हम घात मिलन की रात नहीं आती नहीं आती मुकेश कि आहें भरते-भरते तड़प के मरते-मरते अँधेरा हो रहा कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ पतंगा रो रहा सुमन सितारो उनसे कहना नज़ारों उनसे कहना सज़ाए हो रही कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ शमा भी रो रही सितारो उनसे कहना