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मुकेश सुलझाओ न उलझी ज़ुल्फ़ों को हम उलझन में पड़ जाते हैं सुलझाओ न उलझी ज़ुल्फ़ों को आशा यूँ देख के उलझी नज़रों से क्यूँ आप हमें उलझाते हैं मुकेश सुलझाओ न उलझी ज़ुल्फ़ों को हम उलझन में पड़ जाते हैं सुलझाओ न उलझी ज़ुल्फ़ों को मुकेश हम डूब रहे हैं मस्ती में ऐसे में पलकें झपकाना आशा डर है आँखों में बन जाए न कोई अफ़साना मुकेश ये पल तो गुज़र जाते हैं मगर अफ़साने ही रह जाते हैं सुलझाओ न उलझी ज़ुल्फ़ों को
आशा इन बहकी-बहकी बातों से देखो जी हमें न बहकाओ इन बहकी-बहकी बातों से देखो जी हमें न बहकाओ मुकेश मुद्दत से यूँ ही तड़पाते हैं अब और हमें ना तड़पाओ अब और हमें ना तड़पाओ आशा हम प्यार की लम्बी राहों पे चलने से अभी घबराते हैं सुलझाओ न उलझी ज़ुल्फ़ों को मुकेश यूं देख के उलझी नज़रों से क्यों आप हमें उलझाते हैं आशा सुलझाओ न उलझी ज़ुल्फ़ों को हम उलझन में पड़ जाते हैं सुलझाओ न उलझी ज़ुल्फ़ों को