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धड़कनो के साज़ पर क्या गा रही है ज़िंदगी धड़कनो के साज़ पर क्या गा रही है ज़िंदगीकारवाँबनकरगुजरतीजारहीहैज़िंदगीधड़कनो के साज़ पर क्या गा रही है ज़िंदगी
गर्दिशें शामों शहर कुछ भी नही एक ख्वाब है गर्दिशें शामों शमो शहर कुछ भी नही एक ख्वाब हैइन खिलौनो से हमें बहला रही है ज़िंदगी कारवाँ बन कर गुजरती जा रही है ज़िंदगीधड़कनो के साज़ पर क्या गा रही है ज़िंदगी
एक तरफ शबनम के आसू एक तरफ गुल की हसी एक तरफ शबनम के आसू एक तरफ गुल की हसीहर चमन में रो रही मुस्कुरा रही है ज़िंदगी कारवाँ बनकर गुजरती जा रही है ज़िंदगीधड़कनो के साज़ पर क्या गा रही है ज़िंदगी