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काहे पगली बरखा छाई तेरे इन दो नैनन में काहे पगली बरखा छाई तेरे इन दो नैनन में जाने ऐसे कितने मौसम आए जाए जीवन में
दुनिया सुलगी आग है माना जलने दे इस आग में दिल दुनिया सुलगी आग है माना जलने दे इस आग में दिल आग लगे से होता क्या है फिर भी खुशबू चंदन में काहे पगली बरखा छाई तेरे इन दो नैनन में
पल पल मुझको ऐसा लगता बीत चले अंधियारे दिन पल पल मुझको ऐसा लगता बीत चले अंधियारे दिन कोई सूरज झाँक रहा है मेरे मन के आँगन में
मैने तेरी खातिर कितने सुंदर सपने देखे है मैने तेरी खातिर कितने सुंदर सपने देखे है माथे झूमर पैरों पायल हाथ सजे हैं कंगन में काहे पगली बरखा छाई तेरे इन दो नैनन में