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ऐ मोमिनों सुनो ये कहानी नमाज़ की है हम पे फ़र्ज़ बंदगी बंदानवाज़ की ऐ मोमिनों सुनो ये कहानी नमाज़ की
मुल्के अरब में एक हसीना थी नेक नाम करती थी अपने रब की इबादत वो सुबह-ओ-शाम उसको नमाज़ पढने का बचपन से शौक था इक वक़्त की नमाज़ भी करती न थी कज़ा माँ-बाप भी गरीब थे शौहर भी था गरीब लेकिन कभी न उसने किया शिकवा नसीब करती थी वो नमाज़ अदा पाँच वक़्त की फाकों में भी वो करती थी मालिक की बन्दगी नन्हा सा एक लाल था उस पाक बाज़ का ग़ुरबत में शुक्र करती थी वो बेनियाज़ का मासूम बच्चा भूख से होता जो बेकरार पानी पिला-पिला के थपकती थी बार-बार आँखों में अश्क भर के ये कहती थी सो जा लाल परवरदिगार जानता है बेकसों का हाल गुज़रे इसी तरह जो मुसीबत में तीन साल शौहर के दिल में उसके सफर का हुआ ख़याल बीवी से बोला जाने दे मुझको वतन से दूर सर फूल पे चढेगा जो होगा चमन से दूर शौहर की बात सुन के वो मजबूर हो गई दो दिल की ये ज़ुदाई भी मंजूर हो गई लेकिन तड़प के दामने-शौहर पकड़ लिया कुछ इस तरह वो रोइ की शौहर भी रो दिया महबूब से बिछड़ने का आलम न पूछिये परदेस जाने वाले का ये ग़म न पूछिये बीवी को रोता छोड़ कर जब घर से वो चला मासूम बच्चा बाप से अपने लिपट गया समझा के माँ ने गोद में बच्चे को ले लिया वो चुप रही तो अश्क ने हाफ़िज़ खुदा कहा निकला ग़रीब घर से ग़रीबउलवतन हुआ जॅंगल की तेज धूप में और भूख में चला नागह एक डाकू की उस पे पड़ी नज़र ज़ालिम ने मारा दूर से इक तीर ताक कर लगते ही तीर दिल पे वो चकरा के गिर पड़ा फाके में तीन वक़्त के दुनिया से चल बसा डाकू करीब आया उसे देखने लगा भाई को मुरदा देख के वो थरथरा गया रोया लिपट-लिपट के बिरादर की लाश से सर फोड़ता था अपने ही भाई को मार के कहता था रो के हाए ये क्या मैंने कर दिया भाई का खून अपने ही दामन में भर लिया मुँह पीटता हुआ वह शहर की तरफ चला भाभी को अपने कहने को पुरदर्द माज़रा ऐ मोमिनों सुनो ये कहानी नमाज़ की
मसरूफ इधर नमाज़ में वो नेक ज़ात थी दो दिन की भूख में भी थी मशगूले-बन्दगी डाकू ने राहजन ने या शौहर के भाई ने सब आ के तोड़ डाले उम्मीदों के आईने कहने लगा सुहाग तेरा मैंने ले लिया अपने ही हाथों क़त्ल बिरादर को कर दिया डाकू गुनहगार को राहजन को देख ले खूँ से भरा हुआ मेरे दामन को देख ले ये सुन के चीखी और वो बेहोश हो गई दुनिया से बेखबर हुई ग़फ़लत में सो गई रोइ तड़प के ख्वाव में शौहर को देख कर दिल टुकड़े-टुकड़े हो गया दिलबर को देख कर नन्हें का बाजू थाम लिया दिल को थाम कर कहने लगी के ले चलो शौहर की लाश पर बल किस्सा रोती पीटती वो पहुंची लाश पर कदमों पे सर को रख दिया शौहर को देख कर फ़रियाद रब से करने लगी हो के बेक़रार उतरी फलक से बीवी कोई सुन के ये पुकार हाथों में इक जाम था मुँह पर नकाब थी रहमत बरस रही थी सराफा हिज़ाब थी वो बीवी बोली इसपे छिड़क दे ये जाम तू और पढ़ के इसपे फूंक दे अल्ला का नाम तू पानी छिड़क के नामे-खुदा उसपे दम किया कुदरत खुदा की देखिये वो मुरदा जी उठा ये देख कर लिपट गई शौहर से वो गरीब कहने लगी के मिल गया मुझको मेरा हबीब दामन पकड़ के बीवी का फिर पूछने लगी तुम कौन को ख़ुदारा बता दो ये राज़ भी वो बीबी बोली मैं ही खुदा की नमाज़ हूँ ख़ालिक़ की बन्दगी हूँ मैं बरक़त का राज़ हूँ अपने नमाज़ियों की मैं बिगड़ी बनाती हूँ अपने नमाज़ियों पे मैं रहमत लुटाती हूँ और बोली इस दरख़्त के नीचे खज़ाना है ले ले तेरा नसीब मुझे अब बनाना है गायब हुआ ये कह के फरिश्ता नमाज़ का पढ़ कर नमाज़ देखो करिश्मा नमाज़ का पढ़ कर नमाज़ देखो करिश्मा नमाज़ का