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मुकेशबात तो कुछ भी नहीं दिल है कि भर आया है दिल है कि भर आया है रफ़ी दिल हंसी अपनी उड़ाने पे उतार आया है दिल हंसी अपनी उड़ाने पे उतार आया है दिल है कि भर आया है बात तो कुछ भी नहीं न किसी को तेरी आहों से न अश्कों से गरज तू न समझा तुझे सौ बार ये समझाया है दिल है कि भर आया है बात तो कुछ भी नहीं
मुकेशआँख रो कर कहीं आँख रो कर कहीं रुसवा न हो ये फूट पड़े आँख रो कर कहीं रुसवा न हो ये फूट पड़े दिल के छालों ने निगाहों पे तरस खाया है दिल के छालों ने निगाहों पे तरस खाया है दिल है कि भर आया है बात तो कुछ भी नहीं