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होनी रहे हो कर कोई क्या करे रो कर कर्म की बतियाँ कर्म ही तारे हो राम होनी रहे हो कर कोई क्या करे रो करकर्म की बतियाँ कर्म ही तारे हो राम
हो हो होजीवन मरण है मालिक की माया कहाँ साथ देती है हरदम ये काया सब कुछ समझ कर मूरख ही रोये तन का रमैया जग में ही जारे हो रामहोनी रहे हो कर कोई क्या करे रो करकर्म की बतियाँ कर्म ही तारे हो राम
मौसम सुखों के मौसम दुखों के जाये न सावन मन को भिगो के मानो कि दुनिया मंगल खयाली तारों की छतियाँ वरे नहीं बारे हो राम
जाने ये क्यूँ है कैसा है मेला बिछड़ कर मुसाफिर चला है अकेला जहाँ दिन ढलेगा मंज़िल भी होगी चंदा भी होगा फिर तेरे द्वारे हो रामहोनी रहे हो कर कोई क्या करे रो करकर्म की बतियाँ कर्म ही तारेहो रामकर्म ही तारेहो रामकर्म ही तारेहो रामकर्म ही तारेहो राम