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किसने छेड़ा मन का तार किसने छेड़ा मन का तार आज सुनाई देती है क्यूँआजसुनाईदेतीहैक्यूँमीठी-सीझंकारकिसने छेड़ा मन का तार
छुप के करता कौन इशारे किसके दो नैना मतवारे देख रहें मुझको छिप-छिप कर भरा नज़र में प्यार किसने छेड़ा मन का तार
बाज उठी जब पायल छम-छम बाज उठी जब पायल छम-छम मन ने ली अंगड़ाई उस दम घुंघरू के उस रुन-झुन सुर में झूम उठा संसार किसने छेड़ा मन का तार
गूँज रहे हैं अब तक मन में मस्ती भरे रसीले नगमें गूँज रहे हैं अब तक मन में मस्ती भरे रसीले नगमें पहुँच गई लो उन कानों तक मेरी प्रेम पुकार किसने छेड़ा मन का तार