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किस की है रचना ये सारी किसने रंग लगाया कौन है वो जो जिसने धरती को फूलों संग सजाया किस की है रचना ये सारी किसने रंग लगाया कौन है वो जो जिसने धरती को फूलों संग सजाया नीले नभ पर उषा रुपी सूरज की ये थाली दौड़ी जाए दूर धरा पर एक सुनहरी लाली पर्वत पर्वत किरणें घूमें मैदानों हरियाली डाली डाली कलियाँ करती कौन है इनका मालिक किस की है ये सुन्दर फुलवाड़ी किसने बाग़ खिलाया कौन है वो जो जिसने धरती को फूलों संग सजाया खेतों पर एक रूप सुहाना उतरे साँझ सवेरे सूरज अपना तेज़ लुटाये चन्दा शीत बखेरे शबनम शबनम मोती बरसे तारे डाले डेरे माटी कुंदन बन के सब के ??? फेरे कैसी है शोभा ये न्यारी कण कण कौन समाया कौन है वो जो जिसने धरती को फूलों संग सजाया बादल के जब रथ में बैठी आये वर्षा रानी नदिया नदिया अमृत छलके जैसे मस्त जवानी नहरों नहरों बहता जाये शीतल शीतल पानी खेतों खेतों फसलें लहरें ओढ़े चादर धानी अरे किस की ये लीला मतवारी उस का भेद ना पाया कौन है वो जो जिसने धरती को फूलों संग सजाया किस की है रचना ये सारी किसने रंग लगाया कौन है वो जो जिसने धरती को फूलों संग सजाया किस की है रचना ये सारी किसने रंग लगाया कौन है वो जो जिसने धरती को फूलों संग सजाया