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मुकेश ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय लता सुन बाल ब्रह्मचारी मैं हूँ कन्या कुँवारी सुन बाल ब्रह्मचारी मैं हूँ कन्या कुँवारी तेरे मन में प्रीत का रंग भर दूँ आज तपस्या भंग कर दूँ सुन बाल ब्रह्मचारी मैं हूँ कन्या कुँवारी सुन बाल ब्रह्मचारी मैं हूँ कन्या कुँवारी तेरे मन में प्रीत का रंग भर दूँ आज तपस्या भंग कर दूँ सुन बाल ब्रह्मचारी मैं हूँ कन्या कुँवारी
लता आ के खड़ी हूँ द्वारे तेरे क्यूँ बैठा है आँखे फेरे आ के खड़ी हूँ द्वारे तेरे क्यूँ बैठा है आँखे फेरे इन आँखो की मदिरा पीले इन आँखो की मदिरा पीले छोड़ कर ये माला हँस कर जी ले मुकेश अरे सुन रूपवती मैं हूँ संत जती सती किसी और पे डोरे डालो मेरी माँ मुझे बचा लो लता सुन बाल ब्रह्मचारी मैं हूँ कन्या कुँवारी तेरे मान में प्रीत का रंग भर दूं आज तपस्या भंग कर दूं सुन बाल ब्रह्मचारी मैं हूँ कन्या कुँवारी
मुकेश बोल सिया पति राम चंद्र की जय लता बन ठन के मैं ऐसे निकली जैसे सावन में चमके बिजली बन ठन के मैं ऐसे निकली जैसे सावन में चमके बिजली ऐसी मेरी भरपूर जवानी ऐसी मेरी भरपूर जवानी आग से जैसे लिपटा पानी मुकेश हे रामजी दुहाई यह शूर्पणखा आई अपने लक्षमण को सभांली मेरी माँ मुझे बचा लो लता सुन बाल ब्रह्मचारी में हूँ कन्या कुँवारी तेरे मान में प्रीत का रंग भर दूं आज तपस्या भंग कर दूं सुन बाल ब्रह्मचारी मैं हूँ कन्या कुँवारी
लता बना जवानी में तू जोगी तेरी साधना पूरी न होगी बना जवानी में तू जोगी तेरी साधना पूरी न होगी पूरी ना होगी रूप में मेरे इतनी शक्ति करने लगेगा मेरी भक्ति मुकेश आए निकट निकट है समस्या विकट कोईइसकाटिकेटकटालो मेरी माँ मुझे बचा लो