कोई दिल में है और कोई है नज़र में मुहब्बत के सपने मैं किस पे लुटाऊँ इसी कश-म-कश में जिए जा रहा हूँ किसे याद रखूँ किसे भूल जाऊँ किसे याद रखूँ किसे भूल जाऊँ उधर दिल मोहब्बत में उनको दिया है इधर फ़र्ज़ का बोझ सर पे लिया है अरी ज़िन्दगी तूने ये क्या किया है किसे याद रखूँ किसे भूल जाऊँ न बस में है मेरे उन्हें भूल जाना न बस में है इनको नज़र से गिराना मेरी बेबसी का बस इतना फ़साना किसे याद रखूँ किसे भूल जाऊँ किसे याद रखूँ किसे भूल जाऊँ
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