आँखों में बस के दिल में समा कर चले गये आँखों में बस के दिल में समा कर चले गये ख्वाबिदा ज़िन्दगी थी जगा कर चले गये आँखों में बस के दिल में समा कर चले गये रग रग में इस तरह वो समा कर चले गये रग रग में इस तरह वो समा कर चले गये जैसे मुझ ही को मुझ से चुरा कर चले गये ख्वाबिदा ज़िन्दगी थी जगा कर चले गये आँखों में बस के दिल में समा कर चले गये शुक्र-ए-करम के साथ ये शिकवा भी हो क़बूल शुक्र-ए-करम के साथ ये शिकवा भी हो क़बूल अपना सा क्यूँ न मुझ को बना कर चले गये आँखों में बस के दिल में समा कर चले गये
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