बात अधूरी रह गयी उस दिन आज मुझे कह लेने दो बात अधूरी रह गयी उस दिन आज मुझे कह लेने दो बात अधूरी गगन महल में दीपक गा के जल गयी रतियाँ दीप जला के गगन महल में दीपक गा के जल गयी रतियाँ दीप जला के प्रीत गगन कब कम दीपक से पल पल जलना होगा तुझ बिन बात अधूरी रह गयी उस दिन आज मुझे कह लेने दो बात अधूरी दूर बहुत है मन का बसेरा छोड़ चले तुम साथ क्यूँ मेरा दूर बहुत है मन का बसेरा छोड़ चले तुम साथ क्यूँ मेरा कैसे पहुँचूंगा मंज़िल पर जीना होगा घड़ियाँ गिन गिन बात अधूरी रह गयी उस दिन आज मुझे कह लेने दो बात अधूरी
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