हाय मेहमान कहाँ ये ग़म-ए-जाना होगा खाना-ए-दिल तो कोई रोज़ में वीरां होगा हाय मेहमान कहाँ ये ग़म-ए-जाना होगा कोसता हूँ जो नसीबों को तो कहता है वो शोख़ कोसता हूँ जो नसीबों को तो कहता है वो शोख़ फिर मोहब्बत न करेगा अगर इंसां होगा फिर मोहब्बत न करेगा अगर इंसां होगा दम मेरी आँखों में अटका है के देखूं तो सही दम मेरी आँखों में अटका है के देखूं तो सही क्या मसीहा से मेरे दर्द का दरमाँ होगा क्या मसीहा से मेरे दर्द का दरमाँ होगा ज़िन्दगी इश्क़ में मुश्किल है हाय...ज़िन्दगी इश्क़ में मुश्किल है, मुश्किल है तो मर जायेंगें अब से वो काम करेंगें के जो आसाँ होगा अब से वो काम करेंगें के जो आसाँ होगा
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