जहाँ भी देखा उन्हे सर झुका दिया मैंने जहाँ भी देखा उन्हे सर झुका दिया मैंने ये क्या किया कि ख़ुदी को मिटा दिया मैंने जहाँ भी देखा चमन से दूर भी रह कर अरे चमन वालों कली को फूल को हँसना सिखा दिया मैंने कली को फूल को हँसना सिखा दिया मैंने कली को फूल को तड़प के लाख गिरें बिजलियां तो क्या ग़म है खुद अपने हाथों खुद अपने हाथों खुद अपने हाथों नशेमन जला दिया मैंने खुद अपने हाथों नशेमन जला दिया मैंने खुद अपने हाथों गिरा भी रहने दो इशरत सफ़ीना तूफ़ाँ में हर एक मौज को साहिल बना दिया मैंने हर एक मौज को साहिल बना दिया मैंने जहाँ भी देखा उन्हे सर झुका दिया मैंने जहाँ भी देखा
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