ख़िज़ाँ के दौर में ऐसे भी कुछ मकाम आये गुलों पे वक़्त पड़ा है तो ख़ार काम आये गुलों पे वक़्त पड़ा है तो ख़ार काम आये किसी ने कद्र न की मेरे दीदा-ए-तर की किसी ने कद्र न की मेरे दीदा-ए-तर की ज़मीं पे अश्क़ गिरे आसमां के काम आये ज़मीं पे अश्क़ गिरे आसमां के काम आये कमाल-ए-ज़ब्त-ए-मोहब्बत इसी को कहते हैं कमाल-ए-ज़ब्त-ए-मोहब्बत इसी को कहते हैं तमाम उम्र तमाम उम्र ज़ुबां पर न उनका नाम आये तमाम उम्र ज़ुबां पर न उनका नाम आये वो शमा क्या जो किसी एक अंजुमन में जले वो शमा क्या जो किसी एक अंजुमन में जले इक ऐसी शमा जलाओ जो सब के काम आये इक ऐसी शमा जलाओ जो सब के काम आये ख़िज़ाँ के दौर में ऐसे भी कुछ मकाम आये
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