न ताब-ए-मस्ती न होश-ए-हस्ती न ताब-ए-मस्ती न होश-ए-हस्ती कि शुक्र-ए-नेमत अदा करेंगे ख़िज़ाँ में जब है ये अपना आलम बहार आयी तो क्या करेंगे ख़िज़ाँ में जब है ये अपना आलम जिधर से गुज़रेंगे सरफरोशाना कारनामे सुना करेंगे वो अपने दिल को हज़ार रोकें वो अपने दिल को हज़ार रोकें मेरी मोहब्बत को क्या करेंगे ख़िज़ाँ में जब है ये अपना आलम न शुक्र-ए-गम ज़ेरे लब करेंगे न शिकवा-ए-बरमला करेंगे जो हम पे गुज़रेगी दिल ही दिल में जो हम पे गुज़रेगी दिल ही दिल में कहा करेंगे सुना करेंगे ख़िज़ाँ में जब है ये अपना आलम बहार आयी तो क्या करेंगे ख़िज़ाँ में जब है ये अपना आलम
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