रूठी हुई तक़दीर को अब कैसे मनाऊँ अब कैसे मनाऊँ टूटा हुआ सितार है अब कैसे बजाऊँ अब कैसे बजाऊँ किस्मत से मिले हैं ये मुझे दो नज़राने खाने को मिली ठोकर पीने को मिले आँसू ग़म और मुसीबत से सदा यारी निभाऊँ निभाऊँ अब कैसे मनाऊँ उजड़ी हुई नगरी है मेरी टूटा हुआ है दिल हाय टूटा हुआ है दिल कह रही है मुझ को मेरी अल्विदा बहारें कह रही है मुझ को मेरी अल्विदा बहारें पूछा जो उनसे मैंने अब कैसे बताऊँ अब कैसे मनाऊँ रूठी हुई तक़दीर को अब कैसे मनाऊँ अब कैसे मनाऊँ
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