थरथरा उठती है ख़ामोश फ़ज़ा रात गये थरथरा उठती है ख़ामोश फ़ज़ा रात गये कौन देता है ये गलियों में सदा रात गये कौन देता है ये गलियों में सदा रात गये थरथरा उठती है चुभ के रह जाती है सीने में बदन की ख़ुशबू चुभ के रह जाती है सीने में बदन की ख़ुशबू खोल देता है कोई बंद-ए-क़बा रात गये खोल देता है कोई बंद-ए-क़बा रात गये थरथरा उठती है दिन के हंगामों में क्या कोई कसक हो महसूस दिन के हंगामों में क्या कोई कसक हो महसूस दिल की हर चोट का चलता है पता रात गये दिल की हर चोट का चलता है पता रात गये थरथरा उठती है भीगी भीगी हुई मौसम की हवाओं पे न जा भीगी भीगी हुई मौसम की हवाओं पे न जा दिल पे बरसेगी शरारों की घटा रात गये दिल पे बरसेगी शरारों की घटा रात गये थरथरा उठती है आओ हम जिस्म की शम्ओं से उजाला कर लें आओ हम जिस्म की शम्ओंसे उजाला कर लें चाँद निकला भी तो निकलेगा ज़रा रात गये चाँद निकला भी तो निकलेगा ज़रा रात गये थरथरा उठती है ख़ामोश फ़ज़ा रात गये थरथरा उठती है
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