ज़रा सी बात पे ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था दिल-ए-तबाह ने भी क्या मिज़ाज पाया था ज़रा सी बात पे मुआफ़ कर न सकी मेरी ज़िन्दगी मुझको मुआफ़ कर न सकी मेरी ज़िन्दगी मुझको वो एक लम्हा कि मैं तुझसे तंग आया था वो एक लम्हा कि मैं तुझसे तंग आया था ज़रा सी बात पे शगुफ़्ता फूल सिमट कर कली बने जैसे शगुफ़्ता फूल सिमट कर कली बने जैसे कुछ इस कमाल से तू ने बदन चुराया था कुछ इस कमाल से तू ने बदन चुराया था ज़रा सी बात पे गुज़र गया है कोई लम्हा-ए-शरर की तरह गुज़र गया है कोई लम्हा-ए-शरर की तरह अभी तो मैं उसे पहचान भी न पाया था अभी तो मैं उसे पहचान भी न पाया था ज़रा सी बात पे पता नहीं के मेरे बाद उन पे क्या गुज़री पता नहीं के मेरे बाद उन पे क्या गुज़री मैं चंद ख्वाब ज़माने में छोड़ आया था मैं चंद ख्वाब ज़माने में छोड़ आया था ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था दिल-ए-तबाह ने भी क्या मिज़ाज पाया था ज़रा सी बात पे
TIMELYRICS ROMANVideoAudioCONCERTKARAOKEINSTRUMENTALANECDOTEDownload