आ आ दिल ही बुझा हुआ हो तो फ़स्ल-ए-बहार क्या दिल ही बुझा हुआ हो तो फ़स्ल - ए - बहार क्या साक़ी है क्या, शराब है क्या, सब्जज़ार क्या साक़ी है क्या, शराब है क्या, सब्जज़ार क्या दुनिया से ले चला है जो तू हसरतों का बोझ दुनिया से ले चला है जो तू हसरतों का बोझ काफी नहीं है सर पे गुनाहों का बोझ क्या काफी नहीं है सर पे गुनाहों का बोझ क्या दिल ही बुझा हुआ हो तो फ़स्ल - ए - बहार क्या बाद-ए-फना फ़िज़ूल है, नाम-ओ-निशाँ की फ़िक्र बाद-ए-फना फ़िज़ूल है, नाम-ओ-निशाँ की फ़िक्र जब हम नहीं रहे तो रहेगा मज़ार क्या जब हम नहीं रहे तो रहेगा मज़ार क्या दिल ही बुझा हुआ हो तो फ़स्ल - ए - बहार क्या दिल ही बुझा हुआ हो तो फ़स्ल - ए - बहार क्या
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