हम भूल गए राहें इन चाँदनी रातों में हम भूल गए राहें इन चाँदनी रातों में होठों पे बसी आहें इन चाँदनी रातों में हो कहती है नज़र आँसू भर के, जीते रहे कब तक मर-मर के चाँदी सी चमकती रातों में, आया न कोई वादा कर के फैलाती है ग़म से बाहें हम भूल गए राहें इन चाँदनी रातों में हम भूल गए राहें इन चाँदनी रातों में होठों पे बसी आहें इन चाँदनी रातों में गिरते को सहारा मिल न सका, कश्ती को किनारा मिल न सका उम्मीद को नींद आने लगी, जब कोई इशारा मिल न सका परछाई को कब तक चाहें हम भूल गए राहें इन चाँदनी रातों में हम भूल गए राहें इन चाँदनी रातों में होठों पे बसी आहें इन चाँदनी रातों में आई थी कभी होठों पे हँसी, मुरझा गई लेकिन दिल की कली जब साथ हमारे कोई नहीं, अब कैसी लगन अब कैसे लगी इस दिल को कहाँ ले जाएँ हम भूल गए राहें इन चाँदनी रातों में हम भूल गए राहें इन चाँदनी रातों में होठों पे बसी आहें इन चाँदनी रातों में
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