अपनी नज़रों से बहुत दूर छुपा दूँ खुद को जी में आता है कहीं रख के भुला दूँ खुद को न अपना था जो कल गुज़रा,जो अब है वो है ग़ैरों का नहीं उम्मीद अब कोई,हमारा कल भी क्या होगा, हमारा कल भी क्या होगा न अपना था जो कल गुज़रा बड़ी रानाइयाँ होंगी, जहाँ में हम नहीं होंगे बड़ी रानाइयाँ होंगी, जहाँ में हम नहीं होंगे हमारे एक न होने से, फ़साने कम नहीं होंगे हमारा आज चर्चा है, तो कल औरों का फिर होगा न अपना था जो कल गुज़रा, जो अब है वो है ग़ैरों का नहीं उम्मीद अब कोई, हमारा कल भी क्या होगा, हमारा कल भी क्या होगा न अपना था जो कल गुज़रा उजड़ने को है ये महफ़िल, नई आबाद कर लेना उजड़ने को है ये महफ़िल, नई आबाद कर लेना नई बुनियाद जब रखो, हमें भी याद कर लेना दुखाना दिल को न हरगिज़, दुखाकर दिल को क्या होगा न अपना था जो कल गुज़रा, जो अब है वो है ग़ैरों का नहीं उम्मीद अब कोई हमारा कल भी क्या होगा, हमारा कल भी क्या होगा न अपना था जो कल गुज़रा
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