तुझे भूल के माटी की पुतली पर कोई मन की खिड़की खोल रहा जिसमें तेरा नाम तुले जग उसमें सोना-चाँदी तोल रहा अपना क्या है हम तो अनजाने ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने अपना क्या है हम तो अनजाने ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने जीवन पथ पे निकले दो पल को हम अपने जी को बहलाने ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने यारा दुनिया कैसी तू जाने तूने जब दुनिया ये बनाई धरती की चादर फैलाई चन्दा-सूरज की जोत जलाई तूने जब दुनिया ये बनाई धरती की चादर फैलाई चन्दा-सूरज की जोत जलाई ओ यारा ओ यारा पर जिसके लिए जग तूने रचा वो करके इसे वीरान रहा धरती की चादर छीन चुका अब चाँद और सूरज माँग रहा ये तेरे बन्दों के अफ़साने ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने जीवन पथ पे निकले दो पल को हम तो अपने जी को बहलाने अपने क्या है हम तो अनजाने ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
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