मुकेश तुम्हारी मस्त नज़र तुम्हारी मस्त नज़र गर इधर नहीं होती नशे में चूर फ़िज़ा इस क़दर नहीं होती तुम्हारी मस्त नज़र लता तुम्हीं को देखने की दिल में आरज़ूएं हैं तुम्हीं को देखने की दिल में आरज़ूएं हैं दिल में आरज़ूएं हैं तुम्हारे आगे ही ऊँची नज़र नहीं होती तुम्हारे आगे ही ऊँची नज़र नहीं होती मुकेश तुम्हारी मस्त नज़र ख़फ़ा न होना अगर बढ़ के थाम लूँ दामन ख़फ़ा न होना अगर बढ़ के थाम लूँ दामन ये दिल फ़रेब ख़ता जान कर नहीं होती ये दिल फ़रेब ख़ता जान कर नहीं होती लता तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है हम को होश रहता है फिर उस के बाद हमें कुछ खबर नहीं होती फिर उस के बाद हमें कुछ खबर नहीं होती मुकेश तुम्हारी मस्त नज़र तुम्हारी मस्त नज़र अगर इधर नहीं होती नशे में चूर फ़िज़ा इस क़दर नहीं होती
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