ज़मीं भी चुप है आसमाँ भी चुप है किसी की दुनिया उजड़ रही है बता ऐ मालिक ये कैसी क़िस्मत जो बनते-बनते बिगड़ रही है मासूम दिल की हाँ पे ना कह दिया किसी ने और बस इसी बहाने ग़म दे दिया किसी ने बाद-ए-सबा जो आई और फूल मुस्कुराए फूल मुस्कुराए बाद-ए-सबा जो आई और फूल मुस्कुराए फूल मुस्कुराए सहला के ज़ख़्म मेरे बहला दिया किसी ने और बस इसी बहाने बहाने ग़म दे दिया किसी ने मालूम क्या था हमको है रंज-ओ-ग़म की दुनिया रंज-ओ-ग़म की दुनिया मालूम क्या था हमको है रंज-ओ-ग़म की दुनिया रंज-ओ-ग़म की दुनिया सौ-सौ सितम उठाए दो दिन की ज़िन्दगी में और बस इसी बहाने बहाने ग़म दे दिया किसी ने मासूम दिल की हाँ पे ना कह दिया किसी ने
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