ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई बहार आने से पहले खिज़ा चली आई ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई ख़ुशी की चाह में मैंने उठाये रंज बड़े ख़ुशी की चाह में मैंने उठाये रंज बड़े मेरा नसीब की मेरे क़दम जहाँ भी पड़े ये बदनसीबी मेरी भी कहाँ चली आई ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है न हमसफ़र है कोई और न कोई मंज़िल है ये ज़िंदगी मुझे लेकर कहाँ चली आई ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई बहार आने से पहले खिज़ा चली आई ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई
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