मुकेश और साथी नी बलिये रुत है बहार की होय नी बलिये रुत है बहार की होय सुन चनवे रुत है बहार की होय देखो आये मोर ले के डोली प्यार की लता कुछ मत पूछो कैसे बीतीं घड़ियाँ इंतज़ार की मुकेश नी बलिये रुत है बहार की लता सुन चनवे रुत है बहार की लता आख़िर सुन ली मनमोहन ने मेरे मन की बोली मुकेश अब जाकर हमको पहचानीं उनकी नज़रें भोली लता सखी घड़ी आ गई मेरे सिंगार की साथी सोलह सिंगार की मुकेश नी बलिये रुत है बहार की लता सुन चनवे रुत है बहार की कुछ मत पूछो कैसे बीतीं घड़ियाँ इंतज़ार की साथी होय नी बलिये रुत है बहार की होय सुन चनवे रुत है बहार की लता दिल ने कहा तेरा सपना झूठा मैंने कहा सच होगा मुकेश हम पहले दिन जान गए थे कैसे क्या कब होगा लता सुन लो ये सरगम दिल के सितार की साथी दिल के सितार की मुकेश नी बलिये रुत है बहार की लता सुन चनवे रुत है बहार की कुछ मत पूछो कैसे बीतीं घड़ियाँ इंतज़ार की साथी होय नी बलिये रुत है बहार की होय सुन चनवे रुत है बहार की लता रात-रात भर सोचा तुमको कैसे पास बुलाऊँ द्वार खड़े तुम लाज लगे अब सामने कैसे आऊँ कभी इकरार की कभी इंकार की साथी कभी इंकार की मुकेश नी बलिये रुत है बहार की लता सुन चनवे रुत है बहार की कुछ मत पूछो कैसे बीतीं घड़ियाँ इंतज़ार की साथी होय नी बलिये रुत है बहार की होय सुन चनवे रुत है बहार की होय नी बलिये रुत है बहार की होय सुन चनवे रुत है बहार की होय नी बलिये रुत है बहार की होय सुन चनवे रुत है बहार की होय नी बलिये रुत है बहार की होय सुन चनवे रुत है बहार की
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