मुकेश लाखों तारे आसमान में, एक मगर ढूँढे ना मिला देख के दुनिया की दीवाली, दिल मेरा चुपचाप जला दिल मेरा चुपचाप जला लता लाखों तारे आसमान मे, एक मगर ढूँढे ना मिला एक मगर ढूँढे ना मिला मुकेश क़िस्मत का है नाम मगर है नाम ये दुनिया वालों का फूँक दिया है चमन हमारे ख़्वाबों और खयालों का जी करता है खुद ही घोंट दें अपने अरमानों का गला देख के दुनिया की दीवाली, दिल मेरा चुपचाप जला दिल मेरा चुपचाप जला लता सौ-सौ सदियों से लम्बी ये ग़म की रात नहीं ढलती इस अंधियारे के आगे अब ऐ दिल एक नहीं चलती हंसते ही लुट गई चाँदनी और उठते ही चाँद ढला देख के दुनिया की दीवाली, दिल मेरा चुपचाप जला दिल मेरा चुपचाप जला मुकेश मौत है बेहतर इस हालत से, नाम है जिसका मजबूरी लता कौन मुसाफ़िर तय कर पाया, दिल से दिल की ये दूरी मुकेश कांटों ही कांटों से गुज़रा जो राही इस राह चला देख के दुनिया की दीवाली , दिल मेरा चुपचाप जला दिल मेरा चुपचाप जला लता लाखों तारे आसमान में , एक मगर ढूँढे ना मिला देख के दुनिया की दीवाली , दिल मेरा चुपचाप जला दिल मेरा चुपचाप जला
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