मुकेश तारों में सजके अपने सूरज से देखो धरती चली मिलने तारों में सजके अपने सूरज से देखो धरती चली मिलने झनकी पायल मच गई हलचल अम्बर सारा लगा हिलने तारों में सजके अपने सूरज से देखो धरती चली मिलने मुकेश है घटाओं का दो नैन में काजल धूप का मुख पे डाले सुनहरा सा आँचल साथी है घटाओं का दो नैन में काजल धूप का मुख पे डाले सुनहरा सा आँचल मुकेश हो यूं लहराई ली अंगड़ाई लगी जैसे धनक खिलने तारों में सजके अपने सूरज से देखो धरती चली मिलने
मुकेश आग सी लपके जलती हुई राहें जी को बहलाएं बेचैन तूफ़ां की आंहें साथी आग सी लपके जलती हुई राहें जी को बहलाएं बेचैन तूफ़ां की आंहें मुकेश हो ना डरेगी ना रुकेगी देखें क्या हो कहा दिल ने तारों में सजके अपने सूरज से देखो धरती चली मिलने देखो धरती चली मिलनेदेखो धरती चली मिलने
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