हेमलता तुझको फ़ुरसत से विधाता ने रचा हृदय तुझको क्या दिया है राम ने मुकेश चाँद चाहे मुझसे मुखड़ा फेर ले तू रहे बैठी नज़र के सामने हेमलता तुझको फ़ुरसत से विधाता ने रचा
मुकेश चाँद तो छाया है तेरे रंग की शायरों की दाद पा के तन गया जिस्म ही था तूने अपने रूप को वो तेरा दर्पण ही चंदा बन गया बिन पिलाए ही मुझको बहका दिया तेरी अँखियों के गुलाबी जाम ने हेमलता तुझको फ़ुरसत से विधाता ने रचा
हेमलता तुम हो प्रियतम मेरे मन के देवता मैं तुम्हारे इन चरणों की धूल हूँ तुम हो पूजा तुम मेरी आराधना मैं तुम्हारी साधना के फूल हूँ गिर नहीं सकता कोई मँझधार में तुम बढ़ो जिसकी कलाई थामने
TIMELYRICS ROMANVideoAudioCONCERTKARAOKEINSTRUMENTALANECDOTEDownload