मुकेश आँखों में रंग क्यूँ आया बोलो नशा सा क्यों छाया हमको ये राज़ बतलाओ दिल खो के तुमने क्या पाया लता चमकी नसीब की राहें हम क्यूँ न आज इतराएँ राहों से हट गए काँटे तो फूल क्यूँ न मुस्काएँ मुकेश आँखों में रंग क्यूँ आया
मुकेश मुखड़े पे सुबह की धूप ये खिलता-खिलता रूप काजल लकीर चितवन के तीर ये नैना रूप अनूप लता तुम क्या समझो ये राज़ उल्फ़त के ये अन्दाज़ सुन के ज़रूर होगा ग़ुरूर और करने लगोगे नाज़ मुकेश ऐसा ख़्याल मत कीजे, हम से ये भेद कह दीजे हम भी तो आप ही के हैं हमसे यूँ शर्म ना कीजे लता चमकी नसीब की राहें हम क्यूँ न आज इतराएँराहों से हट गए काँटे तो फूल क्यूँ न मुस्काएँ मुकेश आँखों में रंग क्यूँ आया
मुकेश तरसाओ न यूँ हमदम तुम्हें नाज़-ओ-अदा की क़सम जल्दी से बोल दो ये राज़ खोल दो अपना बना लो सनम लता हरगिज़ न कहूँगी ये बात जोड़ोगे न जब तक हाथ बनके नसीब रहना क़रीब ज्यूँ तारा चाँद के साथ मुकेश तुमसे जुदा न होंगे हम बदलें हज़ार ये आलम हम तुम पे जान दे देंगे गाती है साँस की सरगममुकेश और लता आँखों में रंग क्यूँ आया बोलो नशा सा क्यों छाया हमको ये राज़ बतलाओ दिल खो के तुमने क्या पाया आँखों में रंग क्यूँ आया
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