मुकेश अजी हम दिल्ली के दादे हैं महेंद्र दादे क्या परदादे हैं मुकेश और महेंद्र बुरों के हक़ में टेढ़े हैं भलों के हक़ में सादे हैं हम दिल्ली के दादे हैं महेंद्र दादे क्या परदादे हैंमुकेश और महेंद्र बुरों के हक़ में टेढ़े हैं भलों के हक़ में सादे हैंहम दिल्ली के दादे हैं
मुकेश शहर की चौड़ी सड़कों पर हम सीना तान के चलते हैं महेंद्र धन-दौलत वाले भड़भुंडे हमको देख के जलते हैं मुकेश और महेंद्र अजी उनके और इरादे हैं अपने और इरादे हैं हम दिल्ली के दादे हैं महेंद्र दादे क्या परदादे हैंमुकेश और महेंद्र बुरों के हक़ में टेढ़े हैं भलों के हक़ में सादे हैंहम दिल्ली के दादे हैं
मुकेश जामा मस्ज़िद की सीढ़ी पर बैठ कर खिचड़ा खाते हैं लाल क़िले के अगले-पिछले सब क़िस्से दोहराते हैं मुकेश और महेंद्र अजी यूँ लगता है जैसे हम लावारिस शहज़ादे हैं हम दिल्ली के दादे हैं महेंद्र दादे क्या परदादे हैंमुकेश और महेंद्र बुरों के हक़ में टेढ़े हैं भलों के हक़ में सादे हैंहम दिल्ली के दादे हैं
मुकेश दो दिन अपना बैंड बजा कर गई हुक़ूमत गोरों की महेंद्र लेकिन अब भी धौंस है बाकी चोर-मुनाफ़ाख़ोरों की मुकेश और महेंद्र देखें कब तक पूरे हों जो सरकार के वादे हैं हम दिल्ली के दादे हैं महेंद्र दादे क्या परदादे हैं
TIMELYRICS ROMANVideoAudioCONCERTKARAOKEINSTRUMENTALANECDOTEDownload