मुकेश कहीं सावन में भी ये दिल न तरसे लता घटा छाई तो है बरसे न बरसे
लता भीगी-भीगी हवा है काली-काली घटा है घटा पे तो शक़ हो सकता है तुम पे नहीं हो मुकेश भीगी-भीगी हवा है काली-काली घटा है घटा पे तो शक़ हो सकता है तुम पे नहीं हो लता दिल दीवाने दीवारों को तोड़ के भी मिल जाते हैं जब फूलों को खिलना हो तो पतझड़ में खिल जाते हैं ऐसे अक्सर हुआ है ऐसा हो ये दुआ है दुआ पे तो शक़ हो सकता है तुम पे नहीं हो मुकेश इस दुनिया से डर के जिसने यार का दामन छोड़ दिया वो हरजाई कहलाया है जिसने वादा तोड़ दिया आशिको से सुना है चाहत में वफ़ा है वफ़ा पे तो शक़ हो सकता है तुम पे नहीं हो लता भीगी-भीगी हवा है मुकेश काली-काली घटा है लता घटा पे तो शक़ हो सकता है तुम पे नहीं हो
लता वक़्त पे अपने दिन ढलता है वक़्त पे चाँद निकलता है मुकेश कोई तो है इस परदे में कौन इशारा करता है लता कोई जादू है क्या है मुकेश कहते हैं ख़ुदा है मुकेश और लता ख़ुदा पे तो शक़ हो सकता है तुम पे नहीं हो मुकेश तुम पे नहीं
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