मुकेश भीतर-भीतर खाए चलो बाहर शोर मचाए चलो भीतर-भीतर खाए चलो बाहर शोर मचाए चलो महेंद्र भेद कौन खोलेगा मुँह से कौन बोलेगा मुकेश और महेंद्र भीतर-भीतर खाए चलो बाहर शोर मचाए चलो
मुकेश जनता भोली-भाली है पेट भी जेब भी खाली है नारों से गरमा दो लहू वादों से बहलाए चलो वादों से बहलाए चलो मुकेश और महेंद्र भीतर-भीतर खाए चलो बाहर शोर मचाए चलो मुकेश बढ़ती जाए है मंहगाई घटती जाए है कमाई महेंद्र चीज़ों के दाम बढ़ाए चलो इन्साँ का भाव गिराए चलोइन्साँ का भाव गिराए चलो मुकेश और महेंद्र भीतर-भीतर खाए चलो बाहर शोर मचाए चलो
महेंद्र हाथों में कुछ नोट लो हाथों में कुछ नोट लो फिर चाहो जितने वोट लो मुकेश खोटे से खोटा काम करो बापू को नीलाम करो असरानी अरे बापू की तस्वीर है ये महेंद्र तेरे बाप की क्या जागीर है ये बापू-बापू करते रहो मुकेश ज़हर दिलों में भरते रहो महेंद्र बस्ती-बस्ती आग लगे मुकेश हर इन्साँ इक नाग लगेप्रान्त-प्रान्त को तंग करे महेंद्र भाषा से भाषा जंग करे मुकेश कोई यहाँ मलियाली महेंद्र कोई यहाँ बंगाली मुकेश गुजराती है कोई यहाँ महेंद्र पंजाबी है कोई यहाँ मुकेश ये है मराठा और वो तमिल महेंद्र आपस में यारी है मुश्किल मुकेश और महेंद्र सबको चाहिए अपनी ज़मीं हिन्दुस्तानी कोई नहीं साथीहिन्दुस्तानी कोई नहीं हिन्दुस्तानी कोई नहीं
मुकेश देश कहाँ अब देश रहा महेंद्र देश कहाँ अब देश रहा मुकेश देश तो सीमाओं में बंटा महेंद्र और भी टुकड़े उड़ाए चलो मुकेश और महेंद्र कुर्सी अपनी बचाए चलो कुर्सी अपनी बचाए चलोभीतर-भीतर खाए चलो बाहर शोर मचाए चलो
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