मुकेश भूल गये क्यों देके सहारा लूटने वाले चैन हमारा हो भूल गये क्यों देके सहारा लूटने वाले चैन हमारा आओ के दिल मजबूर है ग़म से रूठ गई तक़दीर भी हमसे डूब गया क़िस्मत का तारा भूल गये क्यों देके सहारा
शमशादटूट गया दिल दर्द का मारा हाय ये किसने मुझको पुकारा हो टूट गया दिल दर्द का मारा हाय ये किसने मुझको पुकारा आज हुआ क्या दिल को ना जाने बैठे बिठाये किस की सदा ने ठेस लगाकर ग़म को उभारा हाय ये किसने मुझको पुकारा
मुकेश चारों तरफ़ तूफ़ान है भारी दिल को लगी है आस तुम्हारी नाव भँवर में दूर किनारा भूल गये क्यों देके सहाराशमशादआके सताया दर्द-ए-जिगर ने कोई बताये किस की नज़र ने छीन लिया दिल करके इशारा हाय ये किसने मुझको पुकारा
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