मुकेशदो अंखियाँ झुकी-झुकी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी कलियों से नाज़ुक होंठों पर कविता रुकी-रुकी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी
मुकेशशरमाती पलकों में सपने जब आँख-मिचौली खेलें शरमाती पलकों में सपने जब आँख-मिचौली खेलें लहराती ज़ुल्फ़ें मुखड़े को साए में जब ले लें इक ख़ुश्बू उड़ी-उड़ी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी कलियों से नाज़ुक होंठों पर कविता रुकी-रुकी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी
मुकेशएक पल लागे अपनी-अपनी और दूजे पल बेगानी एक पल लागे अपनी-अपनी और दूजे पल बेगानी कुछ अंजानी सी सूरत है कुछ जानी पहचानी पास आकर छुपी-छुपी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी
लता मेरे दिल की ख़ामोशी में हलचल कौन मचाए मेरे दिल की ख़ामोशी में हलचल कौन मचाए इक धुँधली सी तस्वीर बने और बनकर मिट जाए इक हसरत दबी-दबी सी मुकेशदो अंखियाँ झुकी -झुकी सी कलियों से नाज़ुक होंठों पर कविता रुकी-रुकी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी दो अंखियाँ झुकी-झुकी सी
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