मुकेश ज्योत से ज्योत जगाते चलो ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो राह में आए जो दीन दुखी राह में आए जो दीन दुखी सबको गले से लगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो
मुकेश कौन है ऊँचा कौन है नीचा सब में वो ही समाया भेद भाव के झूठे भरम में ये मानव भरमाया धर्म ध्वजा धर्म ध्वजा फहराते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो ज्योत से ज्योत जगाते चलो ज्योत से ज्योत जगाते चलो साथी प्रेम की गंगा बहाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो
मुकेश सारे जग के कण कण में है दिव्य अमर इक आत्मा एक ब्रह्म है एक सत्य है एक ही है परमात्मा प्राणों से प्राण प्राणों से प्राण मिलाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो ज्योत से ज्योत जगाते चलो ज्योत से ज्योत जगाते चलो साथी प्रेम की गंगा बहाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो
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