फ़रिश्तों की नगरी में मैं, आ गया हूँ मैं आ गया हूँ फ़रिश्तों की नगरी में मैं, आ गया हूँ मैंआ गया हूँ ये रानाईयां देख चकरा गया हूँ मैं आ गया हूँ मैंआ गया हूँ
यहां बसने वाले बड़े ही निरालेबड़े सीधे सादे बड़े भोले भाले पती-पत्नी मेहनत से करते हैं खेती तो दादा को पोती सहारा है देती यहाँ शीरीं फ़रहाद कंधा मिला कर हैं ले आते झीलों से नदियां बहा करये चाँदी की नदियां बहे जा रही हैं कुछ अपनी ज़ुबाँ में कहे जा रही हैं फ़रिश्तों की नगरी में मैं, आ गया हूँ मैंआ गया हूँ
कन्हैया चला ढोर बन में चराने तो राधा चली साथ बंसी बजाने बजी बाँसुरी नीर आँखों से छलका मुझे हो गया है नशा हल्का हल्का परिंदे मेरे साथ गाने लगे हैं इशारों से बादल बुलाने लगे हैं हसीं देख कर वो मुस्कुराने लगे हैं कदम अब मेरे डगमगाने लगे हैंफ़रिश्तों की नगरी में मैं, आ गया हूँ मैंआ गया हूँ ये रानाईयां देख चकरा गया हूँ मैंआ गया हूँ मैंआ गया हूँ
अरेवाह लगा है यहाँ कोई मेलातो फिर इस तरह मैं फिरूं क्यूं अकेला मैं झूले पे बैठूंगा चूसूंगा गन्ना किसी का तो हूँ मैं भी हरियाला बन्ना ओ भैय्या जी लो ये दुअन्नी संभालोचलो मामा उतरो मुझे बैठने दो फ़रिश्तों की नगरी में मैं, आ गया हूँ
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