होता रहा यूँ ही अगर अंजाम वफ़ा का लेगा न ज़माने में कोई नाम वफ़ा का
होता रहा यूँ ही अगर अंजाम वफ़ा कालेगा न ज़माने में कोई नाम वफ़ा काहोता रहा यूँ ही अगर अंजाम वफ़ा कालेगा न ज़माने में कोई नाम वफ़ा का
सिन्दूर की लाली है किसी के सुहाग में जीते जी जल रहा है कोई ग़म की आग में कोई ग़म की आग मेंइस के सिवा होगा भी क्या अंजाम वफ़ा का लेगा न ज़माने में कोई नाम वफ़ा का
होता रहा यूँही अगर अंजाम वफ़ा कालेगा न ज़माने में कोई नाम वफ़ा का
जाकर नहीं आना जिसे क्यों देखे वो मुड़के मिलते नहीं हमराही दोराहे पे बिछड़ के दोराहे पे बिछड़ केमालूम है होता है जो अंजाम वफ़ा का लेगा न ज़माने में कोई नाम वफ़ा काहोता रहा यूँही अगर अंजाम वफ़ा कालेगा न ज़माने में कोई नाम वफ़ा का
क़समें नहीं निभती धरे रह जाते हैं वादे ये रेत की दीवार है जो चाहे गिरा दे जो चाहे गिरा देसौ काम जफ़ाओं के हैं इक काम वफ़ा का लेगा न ज़माने में कोई नाम वफ़ा का होता रहा यूँही अगर अंजाम वफ़ा कालेगा न ज़माने में कोई नाम वफ़ा का
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