जोश-ए-जवानी हाय रे हाय निकले जिधर से धूम मचाये जोश-ए-जवानी हाय रे हायनिकले जिधर से धूम मचायेदुनिया का मेला मैं हूँ अकेला कितना अकेला हूँ मैं
जोश-ए-जवानी हाय रे हायनिकले जिधर से धूम मचायेदुनिया का मेला मैं हूँ अकेलाकितना अकेला हूँ मैं
शाम का रंगीं शोख़ नज़ारा और बेचारा ये दिल ढूँढ के हारा, कोई सहारापर न मिली मंज़िल शाम का रंगीं शोख़ नज़ाराऔर बेचारा ये दिलढूँ ढ के हारा, कोई सहारापर न मिली मंज़िल
जोश-ए-जवानी हाय रे हायनिकले जिधर से धूम मचायेदुनिया का मेला , मैं हूँ अकेलाकितना अकेला हूँ मैं
कोई तो हमसे दो बात करता कोई तो कहता हलो घर न बुलाता पर ये तो कहता कुछ दूर तक संग चलो कोई तो हमसे दो बात करताकोई तो कहता हलोघर न बुलाता पर ये तो कहताकुछ दूर तक संग चलो
बेकार गुज़रे हम इस तरफ़ से बेकार था ये सफ़र अब दर-ब-दर की खाते हैं ठोकर राजा थे जो अपने घर बेकार गुज़रे हम इस तरफ़ सेबेकार था ये सफ़रअब दर-ब-दर की खाते हैं ठोकरराजा थे जो अपने घर
जोश-ए-जवानी हाय .. रे हायनिकले जिधर से धूम मचायेदुनिया का मेला , मैं हूँ अकेलाकितना अकेला हूँ मैं
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