जिनके कारण गलियों गलियों भटके थक कर चूर हुए बीच डगर में छोड़ के देखो वो भी हमसे दूर हुए
कर भला होगा भला, अन्त भले का भलाकर भला होगा भला , अन्त भले का भलाआज सब कुछ है तेरा, कल का है किसको पताआज सब कुछ है तेरा , कल का है किसको पताकर भला होगा भला , अन्त भले का भला
जैसा कोई बीज है बोता, वैसी चढ़ती बेल यहाँकैसा राजा कौन भिखारी, सब कर्मों का खेल यहाँसाथ किसी के मेला, कोई भटके अकेलाकर भला होगा भला , अन्त भले का भला
जीवन कम है दूर है मंज़िल, सपनों में ना डोल ज़रानींद में बीती जाए उमरिया, आँख मुसाफ़िर खोल ज़रादेख तेरे जीवन का, एक दिन और ढलाकर भला होगा भला , अन्त भले का भला
घर बसते हैं रोज़ जहां में, बसके उजड़ने के लिए मिलता है हर एक यहां पर, मिल के बिछड़ने के लिए चलती डगर है दुनिया, एक आया एक चला कर भला होगा भला , अन्त भले का भला
कल जो करेगा आज भरेगा, ये नगरी व्यापार की है मूरख अब क्यूँ नीर बहे,इ रीत यही संसार की है दीप जो बुझाया किसी का, तेरा भी बुझेगा दियाकर भला होगा भला , अन्त भले का भलाकर भला होगा भला , अन्त भले का भला
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