ओ प्राणी, क्या सोचे क्या होए क्या सोचे क्या होएओ प्राणी, क्या सोचे क्या होएक्या सोचे क्या होए
भाग्य के हैं खेल निराले पल जागे पल सोए भाग्य के हैं खेल निराले पल जागे पल सोएओ प्राणी क्या सोचे क्या होए क्या सोचे क्या होए
किन चाहों से बाग़ लगाए किन चाहों से बाग़ लगाएआशाओं के दीप जलाए आशाओं के दीप जलाएहँसने के सामान बनाए हँसने के सामान बनाएपास खड़ा फिर रोए क्या सोचे क्या होए क्या सोचे क्या होएओ प्राणी क्या सोचे क्या होएक्या सोचे क्या होए
माटी का एक दीया जले आँधी बढ़ती आ जाए छलनी सी है ओढ़नी छलनी सी है ओढ़नी कब तक इसे बचाए जो होए सो होए तेरी जो होए सो होए तेरी पेश न जाए कोए क्या सोचे क्या होएक्या सोचे क्या होए
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