मुकेश कहा आपका ये वज़ा ही सही कि हम बेक़दर बेवफ़ा ही सही बड़े शौक़ से जाइये छोड़ कर मगर सहन-ए-गुलशन से यूँ तोड़ कर
फूल आहिस्ता फेंको फूल आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं फूल आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं वैसे भी तो ये बदकिस्मत नोक पे काँटों की सोते हैं आहिस्ता फेंको
लता आहिस्ता फेंको फूल बड़े नाज़ुक होते हैंफूल आहिस्ता फेंको
लता बड़ी ख़ूबसूरत शिक़ायत है येबड़ी ख़ूबसूरत शिक़ायत है येमगर सोचिये क्या शराफ़त है ये जो औरों का दिल तोड़ते रहते हैं लगी चोट उनको तो ये कहते हैंतो ये कहते हैंकि फूल आहिस्ता आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैंजो रुलाते हैं लोगों को एक दिन खुद भी रोते हैंफूल आहिस्ता फेंको
मुकेश किसी शोख़ को बाग़ की सैर में किसी शोख़ को बाग़ की सैर मेंजो लग जाये काँटा कोई पैर मेंख़फ़ा हुस्न फूलों से हो किस लियेये मासूम है बे-ख़ता इस लियेबे-ख़ता इस लियेफूल आहिस्ता आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैंये करेंगे कैसे घायल ये तो खुद घायल होते हैंफूल आहिस्ता फेंको
लता गुलों के बड़े आप हमदर्द हैं गुलों के बड़े आप हमदर्द हैंभला क्यों न हो आप भी मर्द हैं
मुकेश हज़ारों सवालों का है एक जवाबफ़रेब-ए-नज़र ये न हो ऐ जनाब ये न हो ऐ जनाबफूल आहिस्ता
मुकेश और लताआहिस्ता फेंको
लता फूल बड़े नाज़ुक होते हैंसब जिसे कहते हैं शबनम, फूल के आँसू होते हैंफूल आहिस्ता फेंको
मुकेश फूल बड़े नाज़ुक होते हैंफूल आहिस्ता फेंको
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