मुकेश वो सुबह कभी तो आयेगीवो सुबह कभी तो आयेगीवो सुबह कभी तो आयेगी इन काली सदियों के सर से, जब रात का आंचल ढलकेगा जब दुख के बदल पिघलेंगे जब सुख का सागर छलकेगाजब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नग़मे गाएगी
मुकेश और आशावो सुबह कभी तो आयेगी वो सुबह कभी तो आयेगी आशाआ आ हम्म हम्म आ आ
मुकेश जिस सुबह की खातिर जुग-जुग सेहम सब मर-मर के जीते हैं आशाआ आ आ आ मुकेशजिस सुबह की अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैंइन भूखी प्यासी रूहों पर एक दिन तो करम फ़रमायेगी
मुकेश और आशावो सुबह कभी तो आयेगी वो सुबह कभी तो आयेगी आशा आ आ हम्म हम्म आ आ
मुकेश माना के अभी तेरे मेरे इन अरमानों की, कीमत कुछ भी नहींमिट्टी का भी है कुछ मोल मगर इन्सानों की कीमत कुछ भी नहीं आशा आ आ मुकेशइन्सानों की इज़्ज़त जब झूठे सिक्कों में ना तोली जायेगीवो सुबह कभी तो आयेगी
मुकेश और आशा वो सुबह कभी तो आयेगीवो सुबह कभी तो आयेगी आशा आ आ हम्म हम्म आ आमुकेश दौलत के लिये अब औरत की इस्मत को ना बेचा जायेगाचाहत को ना कुचला जायेगा गैरत को ना बेचा जायेगाअपनी काली करतूतों पर जब ये दुनिया शरमायेगीवो सुबह कभी तो आयेगी वो सुबह कभी तो आयेगी
बीतेंगे कभी तो दिन आखिर ये भूख और बेकारी केटूटेंगे कभी तो बुत आखिर दौलत की इजारादारी से अब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जायेगीवो सुबह कभी तो आयेगी वो सुबह कभी तो आयेगी
NOT IN VIDEOमजबूर बुढ़ापा जब सूनी राहों में धूल न फेंकेगामासूम लड़कपन जब गंदी गलियों में भीख ना माँगेगाहक माँगने वालों को जिस दिन सूली न दिखाई जायेगीवो सुबह कभी तो आयेगी
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