मुकेश एक रात में दो-दो चाँद खिलेएक घूँघट में एक बदली में एक रात में दो-दो चाँद खिलेएक घूँघट में एक बदली में लताअपनी अपनी मंज़िल से मिलेएक घूँघट में एक बदली में मुकेशएक रात में दो-दो चाँद खिले मुकेश बदली का वो चाँद तो सबका हैघूँघट का ये चाँद तो अपना है बदली का वो चाँद तो सबका हैघूँघट का ये चाँद तो अपना है लतामुझे चाँद समझने वाले बताये रात है या कोई सपना है ये रात है या कोई सपना है मुकेशएक रात में दो-दो चाँद खिले लताअपनी अपनी मंज़िल से मिलेएक घूँघट में एक बदली में मुकेशएक रात में दो-दो चाँद खिले मुकेश मालूम नहीं दो अन्जानेराही कैसे मिल जाते हैंमालूम नहीं दो अन्जानेराही कैसे मिल जाते हैं लताफूलों को अगर खिलना है तो वो वीराने में खिल जाते हैंवो वीराने में खिल जाते हैंमुकेशएक रात में दो-दो चाँद खिले एक घूँघट में एक बदली में लताअपनी अपनी मंज़िल से मिलेएक घूँघट में एक बदली में मुकेशएक रात में दो-दो चाँद खिले
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