धड़कनो के साज़ पर क्या गा रही है ज़िंदगी धड़कनो के साज़ पर क्या गा रही है ज़िंदगीकारवाँ बन कर गुजरती जा रही है ज़िंदगी धड़कनो के साज़ पर क्या गा रही है ज़िंदगी
थक गया राही मिला अब तक ना मंज़िल का निशां थक गया राही मिला अब तक ना मंज़िल का निशांकोई ये पूछे कहाँ ले जा रही है ज़िन्दगी कारवाँ बन कर गुजरती जा रही है ज़िंदगीधड़कनो के साज़ पर क्या गा रही है ज़िंदगी
ना खुदा ओझल शिकस्ता ना और हम बेखबर ना खुदा ओझल शिकस्ता ना और हम बेखबरहर कदम पर सौ झकोले खा रही है ज़िन्दगीकारवाँ बनकर गुजरती जा रही है ज़िंदगीधड़कनो के साज़ पर क्या गा रही है ज़िंदगी
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