कबीर सोया क्या करे उठ ना रोवे दुख जाका बासा गोर में सो क्यूँ सोवे सुख
जीवन मरण बिचार कर कूड़े काम निवार जिन पंथो तुझ चालना सोई पंत संवार जिन पंथो तुझ चालना सोई पंत संवार
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