मुकेश मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का बोल राधा बोल संगम होगा कि न हीं अरे बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं
वैजयंतीमालानहीं कभी नहीं मुकेश कितनी सदियाँ बीत गयी है हाय तुझे समझाने में मेरे जैसा धीरज वाला है कोई और ज़माने में दिल का बढ़ता बोझ कभी कम होगा कि नहीं बोल राधा बोल संगम होगा कि नहींबोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं
वैजयंतीमाला जा जा मुकेश दो नदियो का मेल अगर इतना पावन कहलाता है क्यूँ ना जहाँ दो दिल मिलते है स्वर्ग वहा बस जाता है हर मौसम है प्यार का मौसम होगा कि नहीं बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं मेरे मन की गंगा और तेरे मन कि जमुना का बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं अरे बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं
वैजयंतीमालानहीं नहीं नहींमुकेश तेरी खातिर मैं तड़पा ज्यूँ तरसे धरती सावन को राधा राधा एक रतन है साँस की आवन जावन को पत्थर पिघले दिल तेरा नम होगा कि नहीं बोल राधा बोल संगम होगा कि नहींमेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना काबोल राधा बोल संगम होगा कि नहींअरे बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं
वैजयंतीमाला जाओ ना क्यों सताते हो होगा होगा होगा
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