नवप्रभात की मंगल किरणें धरती का मुख चूमें फुट पड़ी कण कण से कलियाँ माँ वसुंधरा झूमें
हाथो मे हल और पाँवो मे बल हाथो मे हल और पाँवो मे बल मेहनत के पुजारी किसान के धरती माता की हम संतान के धरती माता की हम संतान ओ धरती माता तुम्हे प्रणाम ओ अन्न के दाता तुम्हे प्रणाम
ये खेत लहराते सोना हैं बरसाते ये खेत लहराते सोना हैं बरसाते पूजा के मंदिर हमारे इनसे हैं उजियारा हम तो क्या जग सारा जीता है इनके सहारे ओ करते हैं श्रम कभी थकते ना हम करते हैं श्रम कभी थकते ना हम चाहे आँधी हो ये तूफान के धरती माता की हम संतान के धरती माता की हम संतान
हाथो मे हल और पाँवो मे बल मेहनत के पुजारी किसान के धरती माता की हम संतान के धरती माता की हम संतान ओ धरती माता तुम्हे प्रणाम ओ अन्न के दाता तुम्हे प्रणाम
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